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8 Feb 2021 · 1 min read

शब्द वेधी बान।

आज तक इन्हें कोई घायल न कर पाया है शब्द वेधी बानो से।वे मानते थे केवल तीखे पृहार और सुलतानो से।इन्हें कया इनसान कया जानवर ये वासता रखते हैं बी रानो से।रोम रोम और रग रग मे वही खून बहता है।सुबह से शाम तक रहते हैं पतथर की खदानों में।ये कया जाने शीशे की परिभाषा इनकी एक ही लगन एक ही आशा।जो मिले उसे मारो तीर और कमानो से।इन्हें कया गयान कया अगयान कया विगयान ।इनको दिख रहा बस युद्ध का मैदान।बात इनकी होती घमासानो से।आज कोई घायल कर पाया है शब्द वेधी बानो से।

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