Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
7 Feb 2021 · 1 min read

भाई हैं ...पर पुरूष कहाँ हैं ?

कलयुग से ही ये गाथा हैं,
बहन के सिर एक भ्राता हैं,
वफा करो पुरूष से पर भी,
वो तेरी इज्जत कहाँ सँभाल पाता हैं,
भाई तो एक ही पुकार ..अपना सर्वस्व हार जाता हैं,
..
ना समझ सकेगा कोई पुरूष कमजोर ,
और भाई बलवान कैसे बन जाता है,

बीवी पर जो जोर चलाए ..ऐसा पुरूष क्यो जन्मा हैं..
बहन की जो लाज बचाए … भाई हैं पर पुरूष कहाँ हैं…
#sapnaks

Loading...