Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
6 Feb 2021 · 1 min read

सागर

गहरा समंदर शोर करे है, हिलोरे मारे करवट के
किनारों संग ऐसे लगे है, जैसे नीर चले सट – सट के
क्या चमक बताऊ मै,तुम्है उस सागर की सिलवट के
कुछ इस तरह बिखर जाती है, लहरे हर दफा मिट- मिट के

सागर ही है जाने,वो जो इतना फैला है
शायद इसलिए धीरे- धीरे सब बना रहे उसे मैला है
अपनी गूंज है वो सुनाता वो बन रहा विषैला है
सुनामी और उफान संगी इसका, ये नही अकेला है

सागर की धड़कन मे, जीव रत्नो का बसेरा है
तु तो यात्री क्षण भर का, डाल क्यों रहा स्थायी डेरा है
न हक जमा, कह ना इसे तु मेरा है
ये सागर है, सागर है
नील ग्रह का तीन हिस्सों के घेरा है

Apurv soni
Writting is my hobby

Loading...