Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Feb 2021 · 1 min read

चाँद की चाँदनी हो तुम

******* चाँद की चाँदनी हो तुम *******
********************************

जीवन में चमकते चाँद की चाँदनी हो तुम,
नभ में बादलों में गर्जती दामिनी हो तुम।

फूलों सी खुशबू आती है मखमली बदन से,
महकते गुलों के गुलशन की सुरभि हो तुम।

मुखड़ा चाँद का टुकड़ा,ज़मीन पर है उतरा,
कामदेव की बगल में बैठी कामिनी हो तुम।

अस्त रवि की लाली सा नूर तेरे चेहरे का,
महताब सी शांत ,शीतल शालिनी हो तुम।

बहती सरिता की धारा सा स्वभाव है तेरा,
लहराती सागरीय लहरों का उछाल हो तुम।

मनसीरत देखता है तुझे दिन रात ख्वाबों में,
लाल लहू रहे बहता वो रक्तवाहिनी हो तुम।
*********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Loading...