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2 Feb 2021 · 1 min read

??तिरंगे का अपमान

तिरंगे का अपमान, सह नही सकता हूँ मैं
कलम पकड़ और चुप, रह नही सकता हूँ मैं!

तिरंगे का जो भी दोषी, उसकी न अब जान रहे
लाल किले पर चढ़ गए, तो जीवित कैसे प्राण रहे!

कहाँ गयी वो चौड़ी छाती, जहाँ ना पाकिस्तान रहे
बता रहे किसान खुद को, बना खालिस्तान रहे!

पूछ रहे जवान हमारे, जिनके ना सम्मान रहे
लाल किले पर चढ़ गए, तो जीवित कैसे प्राण रहे!

जो भी हो इस देश का दोषी, उसको फाँसी दान मिले
तभी तिरंगे को उसका, सबसे ऊँचा सम्मान मिले!

जो भी हो इस देश का दोषी, उसको फाँसी दान मिले
तभी हमारे वीर जवानों, को उनका सम्मान मिले!

लाल किले पर चढ़ गए, तो जीवित कैसे प्राण रहे
जो भी हो इस देश का दोषी, उसको फाँसी दान मिले!
✍️✍️ -मृत्युंजय कुमार, दिल्ली

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