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1 Feb 2021 · 1 min read

'यादों का मौसम'- कुछ खत मोहब्बत के

‘यादों का मौसम ‘
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भीगी सी शाम के आँचल पे,
लहराती अल्हड़ मस्त हवा।

यौवन की दहलीज पर ,
अंगडाई लेती वो
सुर्ख गुलाब की कलियाँ।
और उसकी खुशबु से बौराया
मदमस्त भंवरा
वो पगलायी सी रंग-बिरंगी तितलियाँ।

सबने जैसे रंग प्रीत का ओढ़ा है
विरह की वेदना में तुम्हारी याद,
कलम चल पड़ी है मेरे आंसुओं की स्याही लिए
शब्द हमारी प्रीत के अहसासों में सराबोर ,
लिख बैठी कई खत तुम्हें ।

ये चंचल पगली हवा, पहुंचा तो देगी ?
तुम तक कुछ खत मोहब्बत के।
तुम्हें बतानी है कई बातें ,जानते हो?

वो एक रास्ता…
जहां गुलमोहर की छाँव में बैठकर,
हमने भी कुछ सपनों के बीज बोये थे।
आज भी तुम्हारी बाट जोहते वहीँ रुका है

रोज बिखर जाते हैं उस पगडंडी पर,
तुम्हारी यादों की महक से सराबोर
कई रंग- बिरंगे फूल।

सुनो, मेरे खत पाते ही तुम लौट आना
बहुत दिन हुए, हम साथ नहीं बैठे,
मैं, तुम और ये वक्त।

और हाँ, मेरे खतों के जवाब में ,
कोई खत मत भिजवाना
इस बार तो तुम खुद आना ।

मैं बैठी मिलूंगी यहीं इसी गुलमोहर के नीचे ,
तुम्हारा रास्ता तकती
सुनो, तुम आओगे ना!?

पल्लवी रानी
मौलिक स्वरचित
कल्याण, महाराष्ट्र
तिथि- 1फरवरी 2021

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