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30 Jan 2021 · 1 min read

किसान

किसान
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जय हो वीरों की सदा, जय जय हे विज्ञान।
जय कैसे हो देश की, दुर्बल अगर किसान।।

हलधर अपने खेत में, सहता जाड़ा, धूप।
पावन अपने देश का, तब खिलता है रूप।।

हालत यही किसान की, जैसे कटहल, आम।
लाठी खाकर भी सदा, फल देते अविराम।।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 29/01/2021

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 569 Views

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