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29 Jan 2021 · 1 min read

चूहे जी

बाल्य कविता ( चूहे जी ? )

नटखट प्‍यारे चूहे जी,
लाड़ हमारे चूहे जी।
बिल्‍ली से डरकर रहते,
राजदुलारे चूहे जी ।।

दिल से जिनको थाम रखा,
ध्‍यान सबेरे शाम रखा ।
भूरे रंग के चूहे का,
ख्‍याति ने ‘चुन’ नाम रखा।।

जब से चुन घर पर आया,
सबको जी भर कर भाया ।
आराध्‍या ने खुश होकर,
छोटा सा घर बनवाया ।।

सुंदर सुघड़ सलौना जी,
दिन में छककर सोना जी ।
रद्दी के अम्‍बार तले,
चुन का नरम बिछौना जी ।।

जब भी ख्‍याति नहलाती,
मीठे फल, खीले लाती ।
गणपति जी के मंदिर में,
दर्शन चुन को करवाती ।।

बचपन से रहते चुनजी,
उछलकूद करते चुनजी।
सॅूंघ -सूँघकर दानापानी,
हाथों में भरते चुनजी ।।

ब्रेड-टोस खाते जी भर,
चंगे रहते बन-ठनकर।
घर से दूर भाग जाते,
काले चूहे डर-डरकर ।।

(जगदीश शर्मा दि. ०४/०६/२०१९)

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