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17 Jan 2021 · 1 min read

अश्कों के मोती

एक शेर के साथ ये मेरा नहीं है लेकिन

खत लिखते रहें फाड़ते रहे पर भेजते तक नहीं
कोई भी नाम देदो इस दीवानगी को तुम जरा
*******×****************************
यादें तेरी अश्क़ों के जाम लेती तो दिल रो गया
गले मिलकर तेरा पैगाम देती तो दिल खो गया
*
बीते हुए लम्हें और वो गमे+तन्हाईयों का सफ़र
लगता कोई मुसाफिर आशिकी के बीज़ बो गया
*
माना इश्क इंतिहा लेता एक आग का दरिया है
पर इस तूफां से जो टकराया वो इसी का हो गया
*
बीते हुए लम्हें बनाते उसकी कई तस्वीरे ख्यालो में
खोया रहूँ ख्यालो में ये सोचकर सदा को सो गया
*
फ़ना होने की ख्वाईश अशोक की भी अब ख़ुदा
देख तुझे मंदिर मस्जिद में अश्क़ों के मोती पो गया
*
अशोक सपड़ा की कलम से दिल्ली से

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