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15 Jan 2021 · 1 min read

ज़माने को जगाना है

नई इक नीव रखनी है ज़माने को जगाना है
सुनो फलदार वृक्षों को, जतन कर अब बचाना है … {1}

तले बैठे हो तुम जिनके , कभी मत काटना जड़ से
कवच वो तुमरे जीवन का, उन्हीं से आशियाना है….{2}

कभी मा-बाप को अपने ख़ुदा से कम समझना मत
तुम्हें उनसे दुआओं का मिला कितना खज़ाना है…{3}

न भेजो बृद्ध आश्रम में भला क्यूँ दूर करते हो
मुक़द्दर जो भी पाया है लिखा उनका फ़साना है….{4}

चलो आगाज़ करने का, लिया संकल्प ‘माही’ ने
समर्पित देश को होकर चमन अपना सजा….{5}

© डॉ० प्रतिभा माही

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