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3 Jan 2021 · 1 min read

तेरा अक्स

वो लहरों सी बहती रही
वो हवाओँ सी चलती रही
बिना कोई शौर के भी एक शौर सा है
शांत समंदर का तुफानी छोर सा है
गहराई इसकी भर के आँखों में
मुस्कान लिये अपनी हर बातों में
छोड कर निशां तेरे अक्स का
दुर जो जाती तुम हो
सागर को भी बहुत याद आती तुम हो।

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