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20 Dec 2020 · 1 min read

खोटा-सिक्का

खोटा सिक्का
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“माँ जी ‘आज उनकी तबियत ठीक नहीं है. आप एक दो रोज और इंतजार करें, समय मिलते ही वो आपको डॉक्टर के पास ले जायेंगे।” छवि ने अपनी सासू माँ से कहा।
पिछले दस दिनों से अंजू देवी वक्ष में उभर आये गांठ से सशंकित छोटे बेटे से डॉक्टर को दिखाने को कह रही थीं पर हर दिन वह टाल मटोल कर रहा था।

अंजू देवी का बड़े बेटे वैभव के कानो में कमरे से गुजरते यह चर्चा पड़ी उसने मां को बाहर बुलाया और जबरन उनको लेकर चेकअप के लिए ले गया

डॉक्टर के पास से लौटते वक्त अंजू देवी अनायास खरे-खोटे सिक्के की अपनी सोच पर मन ही मन लज्जित थीं।

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार

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