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20 Dec 2020 · 1 min read

दोहे संग्रह

कोहिनूर की आभा
~~~~~~~~~~~~~~~
विपदाओं में घिरी,
छिड़ पड़ी सुखसार।
जाने कितने ही शहर,
डूब गए जलधार।।1।।

पानी ही पानी दिखे,
भारी है नुकसान।
दुखिया सारे जन हुए,
कौन करे अवदान।।2।।

भारी पड़ता है सदा,
धरती से खिलवाड़।
कष्ट तभी देती यहीं,
ले विपदा का आड़।।3।।

विपदाओं का अंत हो,
सुखमय हो संसार।
संयम में नित ही बहे,
नदियों में जलधार।।4।।

कोहिनूर करना सदा,
जग में शुभकर काम।
हरित धरा सुरभित रहे,
सुख फैले अविराम।।5।।
~~~~~~~~~~~~~~~
स्वरचित©®
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)
8120587822

Language: Hindi
1 Like · 332 Views

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