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20 Dec 2020 · 2 min read

वर्ष 2020

कभी नहीं सोचा था ऐसा साल भी आएगा।
जो अपनों के होते हुए भी सबकी आंखों में आंसू भर जायेगा।
हर रोज रंग बदलते रिश्तो के इस मौसम में
कोरोना जैसी महामारी का संकट छायेगा।
जो अपनों के रहते हुए भी सबको दूरी का पाठ पढ़ाएगा।
कभी नहीं सोचा था ऐसा साल भी आएगा।
फैला रहा हर तरफ बीमारी का साया, चारों तरफ कोरोना जैसी महामारी का हा हा कार है छाया।
सबको जिसने घरों में ही कैद कराया
इसमें कितना मजबूर बेबस बसर हो गया
सांस लेना लोगों का दूबर हो गया
रोजी – रोटी को मोहताज हो गया
उन मजदूरों का क्या जो रोज कमाता खाता वो दर बदर हो गया
कभी नहीं सोचा था ऐसा साल भी आएगा ।
अजीब रहा यह साल 2020 किसी के सपने ले गया, किसी की उम्मीद और किसी के अपनों को ले गया
आंसू आंसू ही रहा वर्ष आशा है नववर्ष हो
देख हर तरफ मौत का ये फैला साया हमें आसुओं से भिगो गया। कभी नहीं सोचा था ऐसा साल भी आएगा।
2020 ही ऐसा आया जो आंसू आंसू रहा वष आशा है आने वाला नववर्ष हो
हौसले रखें हम बुलंद यह साल भी ना हमें डगमगा पाएगा।
आंसू आंसू रहा वर्ष आशा है नववर्ष हरषमय हो जाएगा।
फिर से हट जाएंगे गम के ये बादल फिर से आसमां में पंछी चह चहायेगे।
खौफ का मंजर यूं ही न रहेगा फिर से सब मिलजुल कर नववर्ष मनाएंगे।
स्वागत करती हूं मैं इस 2020 का तुम जाते जाते कुछ अच्छा कर जाना।
हम सबके हौसलों को पंख लगा जाना
कभी नहीं सोचा था ऐसा साल भी आएगा।
आंसू आंसू रहा वर्ष आशा है नववर्ष हो
अब ऐसा कभी ना लाना जिसमें सहना पड़े सबको इतना कष्ट
संग ले जाना इन कड़वी यादों को सौगात खुशियों की दे जाना
नई उम्मीद नई उमंगों से नववर्ष है लाना।
मेरे लिखी कविता में यदि कोई त्रुटि होतो सुधारने के लिए सुझाव दे।
? ? ? ? धन्यवाद।

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