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18 Dec 2020 · 1 min read

तन्हाई

मेरी तन्हाई ,मुझ पर ही हंसती है
गम ए परछाई, रोज संवरती है
‘जख्म ए दिल’ का क्या कहें ‘देव’
बेवफाई की तो हर रोज,नयी महफिल सजती है

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