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7 Dec 2020 · 1 min read

जानू की साड़ी

मेरी जानू पहने साड़ी
लाल किनारे बाली
उसमें लगती है प्यारी
पतली कमरिया बाली ।

ठुमुक ठुमुक के चलती
साड़ी की सिलवट हिलती
उसकी मदमस्त जवानी पर
मेरी जान निकलती ।

साड़ी का पल्लू सरके
मेरी जान के कातिल
लटके झटके
उसकी इसी अदा पर
मेरा दिल जोरों से धड़के ।

साड़ी में लम्बी लगती
जब बाल खोलकर चलती
बैक ओपन है ब्लाउज़
उसकी ब्यूटी पर नही डाउट ।

कमर से बाँधे सरपट
चुन्नट डाले झटपट
हाई हील्स में लचकी
मुझको आ गयी हिचकी ।

मेरी जानू पहने साडी….

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