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5 Dec 2020 · 1 min read

कोरोना काल

मायूसी पसरी हुई थी
सन्नाटे का आगाज था
सभी कौने खाली पड़े थे
पुलिस का चाकचौबंध था ।

कुत्ते बिल्ली रो रहे थे
एम्बुलेंश का शोर था
मायूस डॉक्टर हो रहे थे
ये कयामत सा दौर था ।

भुतहा संसार बन रहा था
घरों में उदासी का माहौल था
मौत के मुहाने पर खड़ी थी जिंदगी
हर कोई लाचार था ।

कब्रिस्तानों में कतारें लगीं थी
उम्मीदें सारी खो रही थी
हर कोई अकेला बेचैन था
मास्क सेनिटाइजर का साथ था ।

कुदरती ये खेल नही
इंसानी लिप्सा का परिणाम था
जिजीविषा का ये वक्त है
जीतना ही एक मात्र लक्ष्य है……

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