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21 Nov 2020 · 1 min read

हंसी

हंसी मानों होठों पर तैरती थी जैसे ही होठ हंसी से फैलते उसके कंधे उचकते और आंखे खिल जाती थी।कुछ साल पहले वो हर पल मुझे ढूंढतें थे स्वप्न में या यथार्थ में।व़क्त बदल गया है अब हर बात बेतरतीब-सी दिखती है पहले वो इंतज़ार करते थे अब ना मैं साथ हूं ना मेरा इंतज़ार।कभी आते हैं तो जनाब दो पल के लिए और मात्र औपचारिकता भर के लिए।

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