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19 Nov 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

और होंगे तेरे रूप पर मरने वाले
हम नही है कुछ भी करने वाले।
मुझको कबूल कर तू मेरी तरहा
हम नहीं है इंकार से डरने वाले ।
हाँ चाहता हूँ तुझे ये सच है मगर
हद से आगे नहीं हैं गुजरने वाले।
नये दौर का नया आशिक़ हूँ मैं
हम नहीं कभी आहें भरने वाले।
लाख कर ले कोशिश अजय तू
आदतें नहीं हैं तेरे सुधरने वाले।
-अजय प्रसाद

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