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19 Nov 2020 · 1 min read

मुझे तितली,मोर का पंख चाहिए

मुझे तितली,मोर का पंख चाहिए
ढेर सारे सीप,घोघा, शंख चाहिए।

स्कूल जाऊंगा पुराने पहिया चलाकर
बांस की सूखी पत्ती पर महिया खाकर।

खेत में ईख, मटर तोड़कर खाऊंगा
दोस्तों के संग चुपके से नहर में नहाउंगा।

खाना खाने की छुट्टी जब हुआ दोपहर
फिर पटरी चमकाने में लगे बेखबर।

खेलूं सबके साथ बिना भेदभाव के
करूं प्रतियोगिता कागज़ की नाव के।

बारिश में नहाऊं मैं भाग-भागकर
भले ही बुखार हो सुई लगा दे डाक्टर।

मिट्टी के ढेले पर बैठ राजा बन जाता हूं
शाम तक धूल धक्कड़ में सन जाता हूं।

बदनजर के डर से मां डुबोती है मुझे काजल में
मैं बेताज बादशाह सो जाऊं मां के आंचल में

बस! मुझे जो अच्छा लगे वही चाहिए
शान- शौकत झूठी जिंदगी नहीं चाहिए।

नूर फातिमा खातून “नूरी”(शिक्षिका)

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