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28 Oct 2020 · 1 min read

ग़ज़ल- दिल न बहला तो शायरी कर ली

ग़ज़ल- दिल न बहला तो शायरी कर ली
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दिल न बहला तो शायरी कर ली
बुझती आँखों में रोशनी कर ली

साथ काँटों का जब मिला मुझको
फूल जैसी ये ज़िंदगी कर ली

चोट खाया तो होश आया है
क्यूँ जमाने से दोस्ती कर ली

नाम लेना कभी न मजनूँ का
मैंने उसकी बराबरी कर ली

चाँद गायब है तू बता कैसे
इस अमावस में चाँदनी कर ली

गाँव जाना मुझे है ऐ साहब
जितना करना था हाज़री कर ली

नाम लेकर तुम्हारा पतझड़ में
दिल की बगिया हरी-भरी कर ली

हमने ‘आकाश’ की भलाई पर
आज लोगों ने दुश्मनी कर ली

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 28/10/2020

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