Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2020 · 1 min read

उठना नहीं है?

उठना नहीं है?
***********
जिस दिन मैं सुबह देर से उठता हू्ँ उस दिन अनायास ही माँ की याद आ ही जाती है।क्योंकि माँ की ही तरह मेरी भी आदत सुबह जल्दी उठने की है।
फिर भी किसी दिन यदि किसी कारणवश मैं नहीं उठा तो माँ आकर जगाती और यह कहना कभी नहीं भूलती थी कि उठना नहीं है?कितना सोओगे?आज कुछ काम नहीं है?
आज माँ हमारे साथ नहीं है फिर भी उनकी बातें अपने पास होने का अहसास कराती रहती हैं।माँ की स्मृतियों को धरोहर के रूप में संजोए रखने की है।
कहने के लिए तो ये बहुत छोटी बात है परंतु यदि हम महसूस करते हैं तो अपने माँ ,बाप, बुजुर्ग,जो हमारे बीच नहीं हैं,उनके अपने पास होने का अहसास करते हैं।
✍सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
457 Views

You may also like these posts

"अल्फ़ाज़"
Dr. Kishan tandon kranti
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्यानि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्यानि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस
ललकार भारद्वाज
शिक्षक का सच्चा धर्म
शिक्षक का सच्चा धर्म
Dhananjay Kumar
माँ दुर्गा मुझे अपना सहारा दो
माँ दुर्गा मुझे अपना सहारा दो
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वारिस हुई
वारिस हुई
Dinesh Kumar Gangwar
नन्दी बाबा
नन्दी बाबा
Anil chobisa
AE888 - Nhà cái nổi bật với Dịch Vụ Hỗ Trợ Khách Hàng Chuyên
AE888 - Nhà cái nổi bật với Dịch Vụ Hỗ Trợ Khách Hàng Chuyên
AE888
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
We become more honest and vocal when we are physically tired
We become more honest and vocal when we are physically tired
पूर्वार्थ
तन्हाई को जीते जीते
तन्हाई को जीते जीते
हिमांशु Kulshrestha
सत्य और असत्य का
सत्य और असत्य का
Dr fauzia Naseem shad
समझ ना पाया अरमान पिता के कद्र न की जज़्बातों की
समझ ना पाया अरमान पिता के कद्र न की जज़्बातों की
VINOD CHAUHAN
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
श्राद्ध पक्ष में दुर्लभ कागों को समर्पित एक देसी ग़ज़ल:-
श्राद्ध पक्ष में दुर्लभ कागों को समर्पित एक देसी ग़ज़ल:-
*प्रणय*
सड़क
सड़क
Roopali Sharma
कौशल्या नंदन
कौशल्या नंदन
Sonam Puneet Dubey
Tears in eyes
Tears in eyes
Buddha Prakash
3442🌷 *पूर्णिका* 🌷
3442🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
'दीप' पढ़ों पिछडों के जज्बात।
'दीप' पढ़ों पिछडों के जज्बात।
Kuldeep mishra (KD)
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
दर्द भरी मुस्कान
दर्द भरी मुस्कान
ओनिका सेतिया 'अनु '
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
रूप अनेक अनजान राहों मे
रूप अनेक अनजान राहों मे
SATPAL CHAUHAN
मोही  हृदय  अस्थिर,  व्यथित
मोही हृदय अस्थिर, व्यथित
Priya Maithil
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आदर्श शिक्षक
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आलस्य का क्यों पीता जहर
आलस्य का क्यों पीता जहर
मनोज कर्ण
लेखन-शब्द कहां पहुंचे तो कहां ठहरें,
लेखन-शब्द कहां पहुंचे तो कहां ठहरें,
manjula chauhan
औरों के लिए सोचना ,अब छोड़ दिया हैं ।
औरों के लिए सोचना ,अब छोड़ दिया हैं ।
rubichetanshukla 781
Loading...