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6 Oct 2020 · 1 min read

आधुनिक शिक्षा

कविता
आधुनिक शिक्षा

आधुनिक शिक्षा में कागजी ज्ञान पर अब जोर है।
समझदारी न रही दिमागी स्थिति कमजोर है ।
चहुँओर अब इस ज्ञान का विस्तार होना चाहिए।।

माता-पिता निश्चिंत हैं बच्चों को स्कूल में डालकर।
शिक्षकों ने पाकर वेतन छोड़ा है उनके हाल पर।
शिक्षकऔरपालक कोसदाजिम्मेदार होनाचाहिए।।

रहनसहन आचारविचारभी उनकाअनुकरणीयहो।
संस्कृति सभ्यता भी उनका विचारणीय हो।
घर की शिक्षा के भी उनमें संस्कार होना चाहिए।।

प्रेम आदर मन में हो और सभी को मान दें।
दोष देखें न किसी के बस स्वयं पर ध्यान दें ।
इस तरह हर छात्र का व्यवहार होना चाहिए ।।

शिक्षाजगत में शिक्षाका कुछइस तरह परिवेशहो।
नैतिक,व्यवहारिक,मानवीय गुणों का समावेशहो ।
लक्ष्य लेकर जो चले साकार होना चाहिए।।

राष्ट्र को परिवार जिसका ऐसे ही सद्भाव हों।
वीरता हो रग में मन में देशभक्ति भाव हो।
राष्ट्र का उस पर अधिक अधिकार होना चाहिए ।।

रामकृष्ण,बापू ,जवाहर और साईं ने जो किया ।
पूजा उन्हें पर सोचना उनसे क्या हमने गुण लिया।
इस तरह की कोशिशें हर बार होना चाहिए ।।

नारे लगाना पूजना और देना प्रवचन ।
होचुका यह सबबहुत अब एक करलो अपना मन।
कथनी नहीं अब कर्म पर बस वार होना चाहिए।।

कथनीनहीं अब कर्म पर एक बार होना चाहिए।
चहुँओर अब इस ज्ञान का विस्तार होना चाहिए।।

✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव शिक्षिका साईंखेड़ा

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