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29 Sep 2020 · 1 min read

बूंद

बालकाॅनी की परिधि में बादल घिरे हैं पर आसमां में अभी भी सफेदी है जाने कब बरस जाए?
दूर कहीं बहता समीर पेड़ों की हरी परत को और गहरा करने में सक्षम है हरे-पीले पत्ते हवा में झूम रहे हैं शायद दो चार छीटें गिरते ही यह स्वच्छ तरोताजा दिखने लगेंगे।हवा में लहराती फूलों की बेल कितनी नाजुक होती है मोती के सफेद पुष्प कभी भी साथ छोड़ जाते हैं।
महक दो पल तो ठहरती है पर कब तक रहेगी?
साथ तो छोड़ना ही होगा तभी कुछ नया होगा और नया शायद और नया पहले से बेहतर भी हो सकता है।बिजली की तेज गूंज से आसमां सहमा! पल भर में ही कई चेहरे आसमां को ताकते दिखे।सब व्यस्त हैं स्वयं में या किसी काज में या बेहयाई से दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ में!पर बादल अभी निस्तब्ध है!ओह बूंदें गिर गई….
मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 465 Views

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