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14 Sep 2020 · 1 min read

हिंदी

हमारी आन हैँ हिंदी, हमारी शान हैँ हिंदी /
हमारी नसों मे हैँ बहती, हमारी रक्त हैँ हिंदी //

हमारी जान हैँ हिंदी, हमारी मान हैँ हिंदी //
हमारी कण-कण मे रहती, हैँ ये अपनी हिंदी //

अ अनपढ़ से शुरू होकर हमें ज्ञा, ज्ञानी बनाती हैँ //
भारत माता के भीतर बस्ती, रूह हैँ हिंदी //

पाश्चात्य को अपनाओ किन्तु, हिंदी को ना भूलो //
मेरी हर एक सांस मे रहती, वो नाम हैँ हिंदी //

भारत माता के माथे पे चमके, जैसे हो बिंदी //
मेरी मिट्टी की खुसबू मे, बस्ती हैँ मेरी हिंदी //

:~कविराज श्रेयस सारीवान

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