“”””सरस्वती वंदना”” (द्वितीय)
भाव जगा दे भाग्य बना दे,
जय मां वीणा वादिनी ।
ज्ञान कुंज बन जाए यह मन,
जय मां विद्या दायिनी।
दया कर दे – दया कर दे,
झोली मां मेरी तू भर दे।। (दया कर दे दो बार गाना है)
(१) कर्म करूं मैं ऐसा जिसको,
जनमानस अपनाएं।
समरसता का बीज उगा कर,
जीवन सफल बनाएं।
भेदभाव से दूर रहा हूं मैं,
सबको अपना मानू ।
दीन हीन को अपना कर मां ,
दुख सुख उनके जानू ।
कृपा बरसे — कृपा बरसे,
हाथ गर सर पे तू धर दे ।
दया कर दे– दया कर दे,
झोली मां मेरी तू भर दे । (शेष दूसरा चरण बाद में डालूंगा) जय शारदे जय शारदे।
राजेश व्यास अनुनय