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20 Aug 2020 · 1 min read

मिली है हार अपनों से

जिसे समझा कि अपना है,हुआ वो तो पराया है।
लिया था संग जिसको मैं,वही वर्षों फिराया है।
सरलता से भरा जीवन,सदा अविजित रहा हूँ मैं-
मिली है हार अपनों से,नहीं कोई हराया है।

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