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4 Aug 2020 · 1 min read

◆{{◆ अब इश्क़ का रंग नही जाता ◆}}◆

आँसुओ से इतनी भारी ,हो चुकी है पलके मेरी,
अब कोई ख़्वाब सजाया नही जाता

तुम तो चले गए मेरे अंजुमन से कब का,
लेकिन आंखों से तेरा इन्तेज़ार नही जाता

इस दिल में तुझे न देख पाने, का ही दुख है सारा,
निगाहों से अब तक वस्ल, का मंज़र नही जाता

एक ही आरज़ू थी ,के तू मेरी रूह को छू ले,
अब रूह भी मर गयी, मगर दिल से तू नही जाता

ज़ख्मी हो चुके है ,बीते वक़्त से अहसास सारे,
फिर भी दिल से तेरा, अहसास नही जाता

राते मेरी मरुस्थल सी हो चुकी, हर तरफ सहरा हैं,
चाँद तो कब का ढल गया, बस ये अंधेरा नही जाता

तेरी ही यादों से महका , रखे हैं मैंने अपने हर पल,
इश्क़ के फूल तो मुरझा गए, अब इश्क़ का रंग नही जाता

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