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30 Jul 2020 · 1 min read

भाव

********* भाव *********
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मनोविचार से बनता है भाव
बातों से ही संवरता है भाव

शेयर मार्केट सा हाल होता है
बढ़ता और घटता रहता भाव

मन में पैदा जब होता उफान
सामने निकल कर आए भाव

दिल के अन्दर होती जब खुशी
लहरों सा हिलोरें खाता है भाव

लेकिन जब मन हो कभी आहत
दरिया सा गहराया जाता है भाव

द्वंद्वों से जब है कुंठित हो जाए
मंझदार फंस जाए लाचार भाव

फंस जाए जब ईर्ष्या और द्वेष में
चिड़चिड़ा हो जाता है मनोभाव

हो जाए सहयोगी और सहकारी
कल्याणकारी हो जाता है भाव

आवेश से कभी हो जाए ग्रसित
अग्नि में जैसे जल जाता है भाव

अहं में जब हो जाए अहंकारी
चकनाचूर सा हो जाता है भाव

प्रेम तरानों में लेता उडारी
वादियों में कहीं खो जाता है भाव

प्यार में जब मिल जाता हैं धोखा
टूट कर कहीं बिखर जाता है भाव

सुखविंद्र सत्संगति का मिले साथ
सत्संगी हो निखर जाता है भाव
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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