दोहे नयनों से नैना मिले
विषय:नयन
नयनों से नयना मिलें,करें प्यार इजहार।
जब नैना तिरछे हुए,वृष्टि करें अंगार।(१)
नयनों की मत पूछिए,नैना सुख की खान।
जब नैना रिझकर मिलें,होता सुख का भान।(२)
जब झुकते नारी नयन,लज्जा से गढ़ जाय।
नारी की यह मन दशा,हिय को अतिशय भाय।।(३)
सूख-सूख पतझर हुए,जब नारी के नैन।
मन व्याकुल उसका हुआ,कटै रात नहि चैन।।(४)
विविधा
जीवन में सब कुछ मिला, कतिपय मिला न चैन।
रात गयी दिन ढल गया, व्यर्थ गया सब रैन।।(५)
कर्मों का यह खेल है,जीवन करम प्रधान।
संग कछहु जाता नहीं,बंदे तू यह मान।।(६)
छूटा सबका साथ ही, कोई संग न जाय।
जो कर्मों से नित डरे,वह पाछे पछिताय।।(७)
कर्म जीव का है विषय,कर्म करें निष्काम।
राजा रंक फकीर सब,सबके प्रभु श्रीराम।।(८)
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विषय केन्द्रित शब्द-मंथन समारोह
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प्रदत्त विषय शब्द- टीका / तिलक / अभिषेक
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देखें बिहार चुनाव के परिपेक्ष्य में दोहों के माध्यम से व्यंग
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टीका तिलक तराजु पर,किये बहुत से वार।
माया में माया फंसी,जीत गया व्यवहार।।(1)
रचे बहुत से ढोंग भी, करके झूठ प्रचार।
लेकिन अब के नहिं चली, नेताओं की धार।।(2)
बुआ भतीजे साथ में, मौसेरे भी भ्रात।
नहीं चली इस बार कुछ, जोड़ी झूठ जमात।।(3)
पप्पू भैया तो स्वयं,मान चुके थे हार।
छोड़ भगे रणक्षेत्र से, बिना लड़े हथियार।।(4)
तैयारी सब रह गयी, होगा अब अभिषेक।
दफन हुईं दिल में सभी,खुशियां मन अतिरेक।(5)
अटल मुरादाबादी
नोएडा