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13 Jul 2020 · 2 min read

आत्महत्या कारण अंग्रेजी

आत्महत्या का कारण- अंग्रेजी भाषा

नोट- ये कहानी नहीं कल 12 जुलाई 2020 की सुबह 6 बजे की घटना है।

कुछ दिन पहले मेट्रिक झारखंड बोर्ड का रिजल्ट आया था।
मेरा एक विद्यार्थी जिसको मेने 2016 क्लास 10 में पढ़ाया था।
उसकी बहन का मेट्रिक का रिजल्ट आया वो लड़की रीना कुमारी सब विषय मे 60 से 70 अंक प्राप्त की है ।सिर्फ अंग्रेजी में 28 आया जिसके कारण वो फैल हो गई। *उसने कड़ी मेहनत की पर वो अंग्रेजी नहीं सिख पाई । जो लड़की शहर से 26 km सुदूर गाँव पेटरवार में एक आम किसान की बेटी है जिसके घर में अभी तक स्मार्ट फोन नहीं घरवाले खरीद पाए। दूर वो ट्यूशन करने नहीं जा सकती ।जिसके कारण वो अंग्रेजी में फैल हो गई और उसने अपने मानसिक दबाव में आकर सुबह झाड़ू पोछा करते समय वो फिनाईल पी ली जिसके कारण उसका हालत गंभीर है।अब तक स्वस्थ नहीं हो पाई है।
वर्तमान समय में भले हमलोगों को अभी अंग्रेजी आसान लगती हो ।या उतने बड़े विद्वान तो नहीं पर समझ जाते हैं। पर आप सब अपना समय याद करिए ।जब आप मेट्रिक की परीक्षा दे रहे थे।अंग्रेजी कितना कठिन विषय लगता था। सिर्फ रीना कुमारी ही नहीं हिंदी मेडीमय के ज्यादातर छात्र हिंदी ,गणित,विज्ञान ,समाजिक विज्ञान,संस्कृत आदि सब में पास होते हैं लेकिन सिर्फ अंग्रेजी में फैल हो जाते हैं।ये बहुत बड़ा विषय है ।इस अंग्रेजियत के चक्कर कितने छात्र जान दे रहें हैं। अभी मध्यप्रदेश में भी 3 छात्र को आत्महत्या करने से पुलिस ने बचाया। लेकिन कितने ऐसे छात्र है जो जन दे देते हैं।लोक लाज से घरवाले बता नहीं पाते हैं।छात्र तो ऐसे ही शिक्षक से सहमे हुए रहते हैं।ये बहुत बड़ी चुनौती है।हम सब हिंदी के अनुयायी है ।अगर हम नहीं कुछ किये तो ये आंकड़ा बढ़ते जाएगा।। मेरा निवेदन कृपया इस बात पर सभी लोग संज्ञान लें।
जिस समय देश कोरोना की महामारी झेल रहा है।वही छात्र आत्महत्या करने को विवश हैं।जिसका कारण अंग्रेजी है।एक हमारे समाज में लड़कियों को बलि का बकरा शादी के बाद बना दिया जाता है।बलात्कारियों के हाथों अकाल मृत्यु कर दी जाती। जो आधुनिक भारत में भी नहीं रोक पाई है।
मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे समाज में जहां अंग्रेजी हुकूमत ने इतने सालों तक राज किया है। लोगों को मारा है आपस में बांटा है वही आज फिर से अंग्रेजी भाषा छात्रों के मन मस्तिष्क में तबाही मचा रहा है। हमारे भारत के जिस लड़का लड़की को भारत का भविष्य कहते हैं । अगर ये लोग अंग्रेजी में फेल होने के कारण जान देते रहे तो हमारा भारत का भविष्य क्या होगा।कृपया आवाज उठाएं।और अगर सक्षम है तो सुदूर गाँव के लड़के लड़कियों की मदद करें।ताकि वो ऐसे गलत कदम न उठाएं।

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जय साहित्य

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