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25 Jun 2020 · 1 min read

खुशी को छोड़ कर आ जाइये

दर्द की सारी हदों को तोड़ कर आ जाइये
इश्क का दरिया जरा सा मोड़ कर आ जाइये
हर घड़ी खुशियाँ मयस्सर, है मगर ये इल्तिजा
वक्ते’ रुखसत पर खुशी को छोड़ कर आ जाइये

©
शरद कश्यप

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