Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Jun 2020 · 1 min read

मेरी हमसफर मेरी तंहाई

आखिरी हो सफर संग परछाई हो
हो लवों पर हँसी दिल में’ रुसवाई हो
छोड़ दे साथ सारे न गम है कोई
कम से कम हमसफर मेरी’ तंहाई हो

©
शरद कश्यप

Loading...