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17 Jun 2020 · 1 min read

एक शहीद

एक शहीद :

अभी ना दफ़नाना मुझे, क़र्ज़ मेरा बाक़ी है,
वादा था माँ से मेरा, हिफ़ाज़त इसकी बाक़ी है,
दुश्मन उस पार छिपा, निशाँ मिटाना बाक़ी है,
इसलिए अभी ना दफ़नाना मुझे, चाह मेरी बाक़ी है।

शरीर नहीं तो क्या, रूह में अभी भी पानी है,
सीम न उसे लांघने दूँ, माँ से वादा बाक़ी है,
दुश्मन की छाया मिटाऊँ, दिल में अरमा बाक़ी है,
अभी ना दफ़नाना मुझे, प्रतिशोध मेरा बाक़ी है।

मरता नहीं मैं फ़ौजी कभी, बनती बस कहानी है,
छोड़ मोह प्यार के बंधन , सीमा मेरी जींदगानी है,
घर ग्रह मेरा तिरंगे में बसा, बात यही बस जानी है,
त्याग बलिदान मेरा आज, कल सबको भूल जानी है,
अभी ना दफ़नाना मुझे, प्राण मुझमें अभी बाक़ी है।

मैं हूँ बस एक फ़ौजी , मेरी ना कोई ख्याति है,
चाह इतना चाहता हूँ, मेरी ख़ुद की भी इक निशानी है,
नायक नहीं मैं कोई फ़िल्मी, असल सब मेरी कहानी है,
देश है राजा मेरा, और इसकी हिफ़ाज़त ही मेरी रानी है,
इसलिए अभी ना दफ़नाना मुझे, मेरी भी पहचान बाक़ी है।

-Dushyant singh (17/06/2020)

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