Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Jun 2020 · 1 min read

तुलसी मीरा गीत

आज के विषय गीत लेखन पर रचना

विधा-लावड़ी छंद
विधान-१६,१४ पर यति
युगलपद तुकांत
पदांत-कोई बाध्यता नहीं।

★★★
दया धर्म शुचि मानवता का,
भाव हमें जो नित्य दिया।
तुलसी मीरा सत कबीर ने
अनुपम वह साहित्य दिया।
//१//
यह साहित्य सदा समाज को,
भला बुरा दिखलाता है।
जग में कोई संत पुरुष जब,
शब्द सृजन कर जाता है।
मानव कुल जब दुख पीड़ा में,
बस दर्शक ही होता है।
तब-तब कविता ही मानव का,
पंथ प्रदर्शक होता है।
कविता के लेखक ने जग को,
भाव सदा ही कृत्य दिया।
तुलसी मीरा सत कबीर ने,
अनुपम वह साहित्य दिया।
//२//
मानवता को जब कवियों का,
धरम करम का पंथ मिला।
तब इस जग को मोक्षदायिनी,
पावन सूचिकर ग्रन्थ मिला।
जिसनें जग को तार दिया वह,
रामकृष्ण की छवियों ने।
पाया है पहचान जगत में,
ग्रन्थ लिखा जब कवियों नें।
दया धरम की परिपाटी का,
है जग को औचित्य दिया।
तुलसी मीरा सत कबीर ने,
अनुपम वह साहित्य दिया।
★★★
~~~~~~~~~~~~~
रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पिपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822

Loading...