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26 May 2020 · 1 min read

मत भटको तुम.....

लक्ष्य से भटको नहीं,
ओर इसकी बढ़े चलो।

साथ में जज़्बा भी
जीत की ले चले चलो।

वक़्त है जीवन का,
और अपनेपन का।

फ़िर भी तुम चले चलो,
ओर इसकी बढ़े चलो।

मंज़िल है दूर नहीं,
पाकर इसको चले चलो।

सफ़र तय हो जाएगा,
विश्वास करके ये चलो।

ख़ुद होगे पैरों पर तुम,
कुछ भी कर पाओगे।

पहले समय से पकते नहीं,
फ़िर आम क्या खायोगे।

कर कुछ ऐसा कि नाम हो जाए,
कुछ पाने का मुक़ाम हो जाए।

बदला नहीं है कुछ,सब वैसा है,
बहते कश्तियों के जैसा है।

लक्ष्य है,अंजाम है,
बस यही एक काम है।

देख लें हम हित सबकी,
बस यही अरमान है।

ना हो कोई जल्दबाजी,
बस यही मुक़ाम है।

सपनों के संसार में,
लक्ष्य को लेते चलो।

ओर इसकी सदा तुम,
बढ़ते चलो,बढ़ते चलो।

वो इक दिन भी आएगा,
जब तेरी नेमत लाएगा।

बस इतना इंतज़ार कर,
कोई हद ना पार कर।

है अभी तूफ़ान तो,
संतुलन भी आएगा।

मत हो बेसब्र इतना,
वो कल भी आएगा।

कर्म तुम करते रहो,
मार्ग भी बन जाएगा।

वक़्त होगा ऐसा कि,
शमा भी जल जाएगा।

रख ख़ुद पर यक़ीन,
जो चाहा है,वो पाएगा।

वक़्त के साथ ही,
पुष्प भी खिल जाएगा।

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