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11 May 2020 · 1 min read

# प्रेरणादायक दोहे

नहीं सलीका आप में , मुझको देता दोष।
पाँव सँभाले खुद नहीं , करे शूल पर रोष।।

भौर हुई चितचोर सी , पुलकित करती अंग।
शांत कांत ये स्वर्ग सी , रहना चाहूँ संग।।

कब कैसे किसका कहाँ , कितने यहाँ सवाल।
जीवन लघु आनंद ले , ज्यादा मत खंगाल।।

शहर उजड़ता देख के , आँखें मत तू मींच।
कौन सँवारेगा इसे , सब लेंगे कर खींच।।

प्रीतम खुद सा और को , करो ज़रा महसूस।
पाप रहे ना पुण्य फिर , कौन रहे मायूस।।

–आर.एस.प्रीतम

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 504 Views
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