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2 May 2020 · 1 min read

हुआ तभी ये भान

साया जब माँ बाप का, सर से हटा सुजान ।
बूढ़ा होने का मुझे, …..हुआ तभी से भान।।

रिश्ता वो जो स्वार्थ का,हो जाए बेस्वाद ।
कर देना ही ठीक है, उसे शीॆघ्र आजाद ।।
रमेश शर्मा..

Language: Hindi
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