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21 Apr 2020 · 1 min read

इश्क़ अश्क हुए

इश्क़ अश्क हुए बिछड़ने से जरा पहले
बाते खत्म हुई कहने से जरा पहले।

इन यादों का अब क्या करू जो सताती है
ये यादें मौत बन जाती है मरने से जरा पहले।

छोड़ इन बातो को अब आगे राह चल दिए
वक़्त को गुजार रहा था गुजरने से जरा पहले।

अजीज मिल ही गया रहगुजर के लिए कोई
ओर यूं संवर गए बिखरने से जरा पहले।

वो अजीज जीवन के छोर तक ले गई
वो पहले ही सो गई मेरे सोने से जरा पहले।
*******

उसकी यादें हंसा भी देती है मुस्कराने से जरा पहले
ओर आंसू गिर भी जाते है रोने से जरा पहले।

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