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27 Mar 2020 · 1 min read

डर लगता है

******** ( डर ) ********

मै सहम सी जाती हुं………. मुझको डर लगता है।

जब कोई मुझे…… मां की कोख में ही मार देता है।।

मै सिहर सी जाती हुं……….. मुझको डर लगता है।

जब कोई मुझको अशिक्षा के गर्त में ढकेल देता है।।

मै सहम सी जाती हूं………. मुझको डर लगता है।

जब कोई मुझे अबला समझ सरे राह छेड देता है।।

मै बिफर सी जाती हुं……… मुझको डर लगता है।

जब कोई मुझे अपने आप से कम तर समझता है।।

मै कुन्ठित सी हो जाती हुं…..मुझको डर लगता है।

जब कोई मुझे बेचारी,अबला, कमजोर समझता है।।

मै अनमनी सी रह जाती हुं……. मुझे डर लगता है।

जब कोई मुझे किसी अनजान के साथ बांध देता है।।

मै हैरान सी रह जाती हुं……..मुझको डर लगता है।

जब कोई मुझे दहेज के भेडियों केबीच छोड देता है।।

मै दिल-जली सी हो जाती हुं मुझको डर लगता है।

जब कोई मुझे जींदा जलाने की कोशिश करता है।।

मै जींदा लाश सी हो जाती हुं मुझको डर लगता है।

मै टूट सी जाती हुं………… … मुझको डर लगता है।

जब कोई”तीन तलाक”से मेरे वजुद को तोड़ देता है।।

इस ” डर ” का कभी, क्या अंत कोई कर पाएगा।

आएगा कोई मसीहा बन के मुझको ऐसा लगता है।।

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“गौतम जैन ”
9866251031

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