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16 Mar 2020 · 1 min read

मुक्तक

दिल के कमरे में पहले से ही
पुर-ख़ुलूस सा किरायेदार रहता है
बेचैनियों से मेरी वो राबता रखता है
हर सांस में नाम के उसके धड़का रहता है
धडकनों के साथ ही
बही – खाता बन्द करूंगा कहता रहता है
हर ख़सारा गंवारा करूंगा
दिल हस कर कहता रहता है
~ सिद्धार्थ

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