Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Mar 2020 · 3 min read

लालच

एक गांव में लोगों ने देखा कि एक व्यक्ति सड़क के किनारे पेड़ के नीचे घड़ा लेकर बैठा था। और चिल्ला चिल्ला कर लोगों को बुला रहा था रहा था देखो मेरे पास एक चमत्कारी घड़ा है। इसमें जितने पैसे डालोगे उससे दुगना दूसरे दिन पाओगे। लोग उसे पागल समझ कर हंसकर निकल गए । परंतु कुछ लोगों ने सोचा कि चलो इसको आजमाते हैं। तो उन्होंने कुछ रुपए घड़े में डाल दिए । उस व्यक्ति ने उनको डाले गए पैसों की रसीद दे दी जिस पर पर उसका नाम पता सब लिखा हुआ था । देखा देखी मे और लोगों ने भी उस घड़े मे पैसे डाले । देखते ही देखते घड़ा पैसों से भर गया। जब घड़ा पैसों से भर गया तो उस व्यक्ति ने पैसा लेना बंद कर दिया । और बोला मैं कल आऊंगा आपको दिए गए पैसों के दुगने पैसे दूंगा। दूसरे दिन तय समय पर वह व्यक्ति वहां आया इस बार उसके पास पहले वाले घड़े से बड़ा घड़ा था। वहां पर बैठने के बाद उन सभी व्यक्तियों को जिन्होंने कल पैसा जमा किया था उनकी रसीदें लेकर उनको दुगने पैसे देना शुरू कर दिया। जिसको देखकर लोग आश्चर्यचकित रह गए और उसके कथन पर लोगों को विश्वास होने लग गया। फलस्वरूप उन्होंने और उनको देखकर और लोगों ने घड़े में पैसे डालकर रसीद लेना शुरू कर दिया। देखते ही देखते घड़ा पैसों से भर गया तब घड़े वाले पैसा लेना बंद कर दिया। और बोला कि आप लोग कल आना आज का कोटा खत्म हो गया है। तीसरे दिन घड़ा वाला पिछले घड़े से भी बड़ा घड़ा लेकर आया और उसने पिछले दिन के जमा किये पैसों के दुगने पैसे लोगों को देना शुरू कर दिया। लोगों में ये देख कर उस पर पूर्ण विश्वास होने लगा। लोगों में पैसा जमा करने की होड़ सी लग गई । लोग लंबी कतार बनाकर पैसा जमा करने लगे और देखते ही देखते उस दिन का घड़ा चंद ही घंटों में भर गया।
लोगों में लालच इतना अधिक हो गया कि जो दुगने पैसे उन्हें मिले थे, उसे भी चौगुने करने के लिए उन्होंने घड़े में डाल दिये। घड़ा भर जाने के बाद घड़े वाले ने ने उस दिन का का कोटा समाप्त का बोर्ड लगा दिया। और कल फिर आने का वादा करके रुखसत हुआ ।
अगले दिन उसके आने से पहले उसके इंतजार में पैसा जमा करने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग गई। घंटों इंतजार करने के बाद भी वह जब उस दिन वहां प्रकट नहीं हुआ तो लोगों मैं बेचैनी बढ़नें लगी। उनमें उस घड़े वाले के खिलाफ गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। लोग अपने आपको ठगा महसूस करने लगे। कुछ लोगों ने मिलकर यह निश्चय किया कि उसके पते पर जाकर खोजते हैं। पर उन्हें यह मालूम नहीं था कि जो पता रसीद पर था। वह जाली था। जिसका कि कोई अस्तित्व नहीं था।
उन्होंने उस व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट करने की कोशिश भी की परंतु पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने से इन्कार कर दिया। क्योंकि उस व्यक्ति का नाम और पता फर्जी था ।
लोगों को पता चल गया कि घड़े वाला उन्हे अच्छी तरह चूना लगा गया है।
और उन्हें वह कहावत याद आने लगी अब पछताए क्या होत है लालच बुरी बलाय।

Language: Hindi
6 Likes · 6 Comments · 370 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

जिस पनघट के नीर से, सदा बुझायी प्यास
जिस पनघट के नीर से, सदा बुझायी प्यास
RAMESH SHARMA
एक नया वादा
एक नया वादा
Usha Gupta
प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
शेखर सिंह
Health is an asset.and the moment we realize it much could h
Health is an asset.and the moment we realize it much could h
पूर्वार्थ देव
कारगिल विजयदिवस मना रहे हैं
कारगिल विजयदिवस मना रहे हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
दोहा सप्तक. . . . . .  अभिसार
दोहा सप्तक. . . . . . अभिसार
sushil sarna
*मीठे बोल*
*मीठे बोल*
Poonam Matia
"हम भारत के लोग"
Madhu Gupta "अपराजिता"
मुझे छूकर मौत करीब से गुजरी है...
मुझे छूकर मौत करीब से गुजरी है...
राहुल रायकवार जज़्बाती
लाल बत्तियों से चलते है वो जिन्हे अधिकारी कहते हैं।
लाल बत्तियों से चलते है वो जिन्हे अधिकारी कहते हैं।
Rj Anand Prajapati
मुझ को उस समय दगा मिला
मुझ को उस समय दगा मिला
Anil chobisa
क्यों लोग ऐसा करते हैं
क्यों लोग ऐसा करते हैं
gurudeenverma198
3845.💐 *पूर्णिका* 💐
3845.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तेरे दर पर
तेरे दर पर
ललकार भारद्वाज
नन्ही भिखारन!
नन्ही भिखारन!
कविता झा ‘गीत’
तेरे घर का आईना किसी रोज साफ तो कर
तेरे घर का आईना किसी रोज साफ तो कर
अश्विनी (विप्र)
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम मानव नहीं हो!
तुम मानव नहीं हो!
आलोक कौशिक
"समझाइश"
Dr. Kishan tandon kranti
बुरा मानेंगे----
बुरा मानेंगे----
Shally Vij
बस इतना-सा प्रेममय, हो जाना घनश्याम।
बस इतना-सा प्रेममय, हो जाना घनश्याम।
लक्ष्मी सिंह
बांग्लादेश हिंसा पर ...
बांग्लादेश हिंसा पर ...
SURYA PRAKASH SHARMA
पार्थगाथा
पार्थगाथा
Vivek saswat Shukla
#सामयिक_मुक्तक-
#सामयिक_मुक्तक-
*प्रणय प्रभात*
खाली पेड़ रह गए
खाली पेड़ रह गए
Jyoti Roshni
देश की आजादी की सुबह
देश की आजादी की सुबह
रुपेश कुमार
रिश्तों की रिक्तता
रिश्तों की रिक्तता
पूर्वार्थ
आजाद लब
आजाद लब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जन्मदिन का तोहफा**
जन्मदिन का तोहफा**
Bindesh kumar jha
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
Loading...