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15 Mar 2020 · 1 min read

मुक्तक

वक़्त के थपेड़े किश्ती को कहां टिकने देंगे
शाहिल की मैज किनारे किशती कहां लगने देंगे

कौन भला उठाए फिरे भंवर बाजुओं से
भवर भला कीशती को किनारे कब लगने देंगे
~ सिद्धार्थ

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