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3 Mar 2020 · 1 min read

ठीक हूँ तन्हा

जो हुआ अच्छा हुआ इंकार से
ठीक हूँ तन्हा किसी लाचार से

सीखकर मुझसे मुहब्बत देखिए
बेवफ़ाई कर गया वो यार से

फूल से ही ज़ख्म इतने खायें हैं
डर नहीं लगता मुझे अब खार से

वक्त मिल जाए अगर तो सोचना
क्या हुआ हासिल तुम्हें तकरार से

खास था जो शख्स घर आता नहीं
पूछती हैं ये हवाँ दीवार से

ज़िंदगी में वो अँधेरा कर गया
चाँद कहते थे जिसे हम प्यार से

है खबर उनको मेरी हर बात की
पढ़ लिया होगा मुझे अखबार से

दूर से भी याद ‘सागर’ आ रहा
आ रही कोई सदा उस पार से

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