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4 Feb 2020 · 1 min read

हाय रे बेरोजगारी

सपना था पढ़ लिखकर
करेंगे नौकरी सरकारी
प्रेमिका की तरह गले पड़ गई
आकर बेरोजगारी !!

नहीं सोते थे भरपूर
पढ़ने जाते थे दूर-दूर
ढल रही है उम्र
सपना हो रहा चूर-चूर
सोचते थे बड़ा होकर
बनेगें आईएएस अधिकारी
हाय रे बेरोजगारी !!

एसबीपीडी लुसेंट सारा
मैंने सबको रटा मारा
इतिहास की युद्ध लड़ाई
अभी भी सब कुछ याद है भाई
किताबों से भरल पड़ी है अलमारी
हाय रे बेरोजगारी
प्रेम की तरह गले पड़ गई
जैसे कोई राजकुमारी !!

कहां से आई हो
कब तुम जाओगी
करोड़ों युवाओं को
अंधेरे में डूबाओगी
अफरा-तफरी मचा पड़ा है
चाहे नर हो या नारी
हाय रे बेरोजगारी !!

सुनील गोस्वामी

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