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4 Feb 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

जमाने भर की आँखों के
नए सपने ???बनाऊँगा

मैं बेगानों से ग़म चुनकर
उन्हें अपने ?‍❤️‍?बनाऊँगा ।

बनाने का हुनर बख़्शा
खुदा ने जो कभी मुझको

नहीं हथियार कोई भी
मगर कलमें?️?️?️✏️✒️ बनाऊँगा।।

संजय नारायण
20/11/2019

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