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17 Jan 2020 · 1 min read

जब भरोसा ही नहीं मेरी बातों में

जब भरोसा ही नहीं मेरी बातों में
न आया करो ख्वाब बन रातों में

बात तकलीफ़ का न किया करो
अब रखा ही क्या मुलाकातों में

खुश नहीं हो, मुझसे दूर जाकर
मत पूछना क्या हैं जज़्बातों में

गलती मेरी ही थी, ये मान लिया
माफ़ी थोड़ी भी न बची नातों में

सफ़र हैं, रास्ता साथ हो जायेगा
आख़िर मंजिल मिलेगी रास्तों में

✍️रवि कुमार सैनी ‘यावि’

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