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3 Jan 2020 · 1 min read

हर रोज तुम्हारी गलियों में, हम आते जाते रहते हैं !!

सपनोंं की दुनियां में, तुमको,
हम रोज़ बुलाते रहते हैं !!
हर रोज तुम्हारी गलियो में,
हम आते जाते रहते हैं !!

शब्दो की संरचना तुम,
होठो का मेरे गीत बनो !!
मेरे मन्नत की जन्नत तुम,
हारे दिल की तुम जीत बनो !!

तुम गीत मेरा मनमीत मेरी,,
मेरे सरगम का साज बनो !!
बीते कल की तुम मधुर स्वप्न,,
यदि सम्भव हो तुम आज बनो!!

गीतो के सरगम में, तुमको,
आवाज बनाते रहते हैं !!
हर रोज तुम्हारी गलियो में,
हम आते जाते रहते हैं !!

एस. कुमार मौर्य
बहराइच, उ. प्र.

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