Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2020 · 5 min read

“असली सांता क्लॉज” ( क्रिसमस पर लघुकथा)

एक समय की बात है, इंदौर शहर के समीप राजेंद्रनगर की एक बस्‍ती में किरण नामक लड़का अपने पिताजी के साथ रहता था । उसकी परवरिश मध्‍यम परिवार में हुई, उसके पिताजी दिनानाथ के पास अधिक धन या संपत्ति नहीं थी और न ही ज्‍यादा अमीर थे, पर हां फैक्‍ट्री में काम करके इतना तो कमा ही लेते थे कि गुजर-बसर हो जाती, और “हां उन्‍हें स्‍वयं पर पूर्ण विश्‍वास था कि वे अपने बलबूते पर बेटे को उचित रूप से शिक्षित कर एक काबिल इंसान अवश्‍य ही बनाएंगे ।”

उनकी पत्‍नी का तो पहले ही स्‍वर्गवास हो चुका था, पर दोनों की जिंदगी हंसी-खुशी से व्‍यतीत हो रही थी । किरण बहुत होनहार था, लेकिन उसका कोई नजदीकी मित्र नहीं था !

हमेशा वह सोचता‍ कि कोई तो ऐसा मित्र बने, जिसके साथ वह अपने मन की बात साझा कर सके, खेल सके, खुशियां बांट सके और कोई भी दु:ख मुसीबत आए तो एक-दूसरे का सहारा बन सके ।

किरण की कक्षा में प्रकाश भी पढ़ता था, वह बहुत शानो-शौकत हमेशा ही दिखाता ! अपने पिता के कमाए पैसे बड़ी आसानी से खर्च कर देता । प्रकाश के पिता प्रसिद्ध व्‍यापारी थे ।

किरण का कोई मित्र नहीं होने के कारण वह उदास रहता था । वह अकेला स्‍कूल जाता और अकेला ही वापस आ जाता । “वह हमेशा कक्षा में प्रथम ही आता, जिससे प्रकाश और उसके मित्र उससे चिढ़ते थे ।”

एक दिन किरण ने सोचा कि क्‍यों न प्रकाश से मित्रता करने के लिए मैं ही पहल करूं और उसने प्रकाश के पास जाकर दोस्‍ती के लिए हाथ आगे बढ़ाया, पर प्रकाश अपने बिगडे़ मित्रों के साथ किरण का मजाक उड़ाते हुए जोर-जोर से हंसने लगा व उसके दोस्‍त भी हंसने लगे ! फिर किरण रोते हुए घर वापस आया और पिताजी को सारी बात बताई । पिताजी ने समझाते हुए कहा बेटा ! ऐसी जरा-जरा सी बातों से परेशान नहीं हुआ करते, ये तो समय का फेरा है । सबकी परिस्थिति एक जैसी नहीं होती, पर किसी का ऐसे मजाक नहीं उड़ाना चाहिए, क्‍या पता वक्‍त कब किस तरफ करवट बदल ले ?

लेकिन तुम्‍हें ऐसे निराश भी नहीं होना है ! अपना पूरा ध्‍यान अध्‍ययन में लगाते हुए जीवन में असली सांता क्‍लॉज बनने की कोशिश करो । 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्‍यौहार पर बच्‍चों के प्‍यारे सांता क्‍लॉज गिफ्टस की पोटली बांटते हैं, क्रिसमस ट्री सजाए जाते हैं, जिंगल्‍स बेल की आवाज चारो ओर गूंजती है और फिर तोहफों की बरसात होती है ! पर ये सब नकली सांता क्‍लॉज बनकर किया जाता है, बेटा किरण तुम्‍हें तो अपनी विद्या रूपी किरण से असली सांता क्‍लॉज बनना है ।

कहा जाता है कि बरसों पहले जब सांता क्‍लॉज ने जब रेंडियरों पर झिलमिलाती हुई मैजिक डस्‍ट डाली, तो वे फुर्र से उड़ गए । मैजिक डस्‍ट छिड़कने से रेंडियर क्रिसमस लाईट की स्‍पीड़ से उड़ने लगते, ताकि सांता हर बच्‍चे के पास पहुंचकर उन्‍हें गिफ्ट दे सकें । बच्‍चे गहरी नींद में सो जाते हैं ! तो सांता तोहफा रखकर अगले बच्‍चे के घर निकल जाते हैं । आज से करीब डेढ़ हजार साल पहले जन्‍मे संत निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है ! “वे चाहते थे कि क्रिसमस और नए साल के दिन गरीब-अमीर सभी खुश रहें, उन्‍हें बच्‍चों से खास लगाव था, इसलिए वे गरीबों के घर जाकर खान-पान की चीजें और खिलौने बांटा करते ! वे हमेशा सबको खुश देखना चाहते थे ।”

फिर दूसरे दिन किरण स्‍कूल गया तो प्रकाश ने उसे चिढ़ाने के लिए कक्षा में चिल्‍लाकर कहा भाई ……मैं तो क्रिसमस के दिन पार्टी रख रहा हूं, मेरे सभी दोस्‍त कृपया इस पार्टी में जरूर आएं ।

कुछ दिनों बाद नया वर्ष आने वाला था और प्रकाश के मन में यही था, कि अब तो क्रिसमस की पार्टी और उसके बाद नए साल की पार्टी दोस्‍तों के साथ करूंगा और किरण को ऐसे ही चिढ़ाते हुए बेइज्‍जत करूंगा, पर कहते हैं न साथियों ज्‍यादा खुश भी नहीं होना चाहिए और वह भी दूसरों का मजाक उड़ाकर आप कभी खुश नहीं रह सकते । “ऐसी खुशी तो चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात जैसी होती है ।”

क्रिसमस के दिन प्रकाश के पार्टी की तैयारियां शुरू रहती हैं, पूरे घर को भी लाईटिंग से सजाया जाता है और प्रकाश सांता क्‍लॉज बनकर सबको गिफ्ट बांटने की पोटलियां बनाता रहता है अपने दोस्‍तों के साथ । “किरण भी पिताजी के बताए अनुसार त्‍यौहार की खुशियां मनाने इस पार्टी में शामिल होता है ।”

पार्टी शुरू होती है, सभी दोस्‍त पार्टी का आनंद उठाते हैं ! पर जैसे ही प्रकाश सांता क्‍लॉज बनकर तोहफे बांटना शुरू करता है और बांटते-बांटते पिताजी के पास पहुचते ही वे प्रकाश के कंधे पर सिर रखकर एकदम से बेहोश हो जाते हैं । प्रकाश को घबराहट के मारे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्‍या करे ? एक ओर पार्टी चल रही थी और अचानक ये क्‍या हो गया ? तब उसके सब दोस्‍त तमाशा देखते खड़े रहते हैं, इस मुश्किल घड़ी में कोई मदद करने सामने नहीं आता, सिर्फ किरण ने साथ दिया प्रकाश का और कहा ऐसे समय में घबरा मत, थोड़ा धैर्य से काम ले और दोनों तुरंत ही उनको समीप के अस्‍पताल उपचार हेतु लेकर जाते हैं ।

डॉक्‍टर द्वारा पूर्ण जांच करने के उपरांत प्रकाश को बताया जाता है कि अच्‍छा हुआ समय रहते आप पिताजी को जल्‍दी ले आए, नहीं तो बहुत देर हो चुकी होती । “अब वे खतरे से बाहर हैं और एक हफ्ते में उपचार के दौरान पूर्ण रूप से स्‍वस्‍थ होकर घर वापस जा सकेंगे ।”

यह बात सुनते ही प्रकाश की आंखों से अश्रुओं की धारा बहने लगी कि यदि किरण ने समय पर साथ नहीं दिया होता तो आज वह अपने पिता को खो देता ! आज तक जिन दोस्‍तों के साथ मैने किरण का मजाक उड़ाया, आज मुसीबत के समय वही मित्र मेरे काम आया । “इतने में किरण ने प्रकाश को चुप कराते हुए गले लगाया और कहा मुझे आज सच्‍चा मित्र मिल गया है, जिसकी मुझे बरसों से तलाश थी ।”

“प्रकाश के पिताजी की हालत भी अब पहले से बेहतर थी और नया वर्ष भी आ चुका था । प्रकाश और किरण दोनों उनको खुशी-खुशी घर वापस ले जा रहे थे ।”

घर पहुंचते ही प्रकाश की माताजी ने सबका तिलक किया और किरण के पिताजी ने पुष्‍प गुच्‍छ से स्‍वागत करते हुए प्रकाश से कहा तुम्‍हें मिला असली सांता क्‍लॉज के रूप में अमूल्‍य उपहार, इसलिए हम सब करें आपस में प्‍यार, ये हमें जीवन मिलता एक ही बार, सदा ही बांटे खुशियां हजार ।

“आज प्रकाश को मिला किरण रूपी असली सांता क्लॉज” ऐसे ही आप भी बने ।

आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक

भोपाल

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 364 Views
Books from Aarti Ayachit
View all

You may also like these posts

साधारण असाधारण
साधारण असाधारण
Shashi Mahajan
राममय जगत
राममय जगत
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
* जब लक्ष्य पर *
* जब लक्ष्य पर *
surenderpal vaidya
बेजान जिंदगी में बेजान सा हमसफर
बेजान जिंदगी में बेजान सा हमसफर
goutam shaw
कविता -आओ संकल्प करें
कविता -आओ संकल्प करें
पूनम दीक्षित
वीर तुम बढ़े चलो...
वीर तुम बढ़े चलो...
आर एस आघात
Adhyatam
Adhyatam
Vipin Jain
नवरात्रि के इस पावन मौके पर, मां दुर्गा के आगमन का खुशियों स
नवरात्रि के इस पावन मौके पर, मां दुर्गा के आगमन का खुशियों स
Sahil Ahmad
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
Lokesh Sharma
We make Challenges easy and
We make Challenges easy and
Bhupendra Rawat
संवेदनहीन
संवेदनहीन
Shweta Soni
ताकि अपना नाम यहाँ, कल भी रहे
ताकि अपना नाम यहाँ, कल भी रहे
gurudeenverma198
हैं राम आये अवध  में  पावन  हुआ  यह  देश  है
हैं राम आये अवध में पावन हुआ यह देश है
Anil Mishra Prahari
मुक्ति
मुक्ति
Amrita Shukla
जतन
जतन
सोबन सिंह रावत
3349.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3349.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
जीवन को खुशहाल बनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
Dr Archana Gupta
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
Keshav kishor Kumar
राजनीति और वोट
राजनीति और वोट
Kumud Srivastava
कैसा हो रामराज्य
कैसा हो रामराज्य
Rajesh Tiwari
इसके बारे में कैसा है?
इसके बारे में कैसा है?
Otteri Selvakumar
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
GM                    GM
GM GM
*प्रणय*
मोहब्बत की राहों में चलिए जरा संभल कर... (ग़ज़ल)
मोहब्बत की राहों में चलिए जरा संभल कर... (ग़ज़ल)
पियूष राज 'पारस'
3) बारिश और दास्ताँ
3) बारिश और दास्ताँ
नेहा शर्मा 'नेह'
चाय
चाय
Ahtesham Ahmad
💗 चाँद कहूं तो छुप जाओगे 💗
💗 चाँद कहूं तो छुप जाओगे 💗
Rituraj shivem verma
कट ले भव जल पाप
कट ले भव जल पाप
C S Santoshi
तुम जियो हजारों साल मेरी जान।
तुम जियो हजारों साल मेरी जान।
Rj Anand Prajapati
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
करन ''केसरा''
Loading...