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30 Dec 2019 · 1 min read

ग़ज़ल- इस क़दर नैना कटीले हो गये...

इस क़दर नैना कटीले हो गये।
अधपके से फ़ल रसीले हो गये।।

आपसे तो कुछ कहा हमने नही।
आप क्यों गुस्से में पीले हो गये।।

बेअसर काँटे हुये अब शर्म से।
फूल जबसे ये कटीले हो गये।।

मेरी खुशियों का ठिकाना अब नही।
हाथ उनके जब से पीले हो गये।।

‘कल्प’ पीछे पड़ गये हो इस क़दर।
आप कब से यूँ हठीले हो गये।।

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